जंगल का फूल

पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,  पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।  माली की बगिया में शान तो खूब थी,  पर था कोई फूल नहीं, बगिया बेज़ान थी। एक फूल की तलाश में, वह माली शूलों पर चलता रहा,  भटकता रहा कई दिनों वह दुर्गम जंगलों में, पत्थरों...

ख़ूबसूरत मोड़

ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थीथा मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थीन ख़ौफ़ कोई रात का, न आरज़ू सहर की थीन धूप से कोई थकन, न जुस्तजू शजर की थीन पास रहनुमा मिरे, न कोई मुन्तख़ब डगरसुकूत से था मुतम’इन, कमी ज़रूर थी मगरदिखी मुझे वो अजनबी, वो भीड़ से...

दावानल

मृत जीव – जंतु – वृक्ष – पत्ते, झर – झर,गिर रहे प्राणहीन होकर भू पर, शर – शर।अनल के एक कण से फैला,विश्वारण्य में एक दावानल। चर – अचर, निशाचर सब,जर रहे धूं – धूं कर,धूम्र की चादरों से ढक गया है – नीलाम्बर,अस्त हुआ रवि तब,...

ग़ज़ल

क्यूँ ये दूरी सही नहीं जातीज़िंदगी हम से जी नहीं जाती बंदगी शौक़-ए-सजदा हद से औरदिल की वारफ़्तगी नहीं जाती याद इक बार उनकी आती हैआँखों से फिर नमी नहीं जाती इतना हसरत-ज़दा हुआ है दिलप्यास दिल की सही नहीं जाती सब पे दरिया-दिली तुम्हारी बसअपनी तिश्ना-लबी नहीं जाती आग...