Rudra

Poet

His Story

Collection

अनन्त

जो परिभाषित नहीं हो सकता,
वही अनन्त है फ़िर प्रेम हो या ईश्वर

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इक रोज़ मैं मनाऊंगा,,
श्मशान में…..
अपनी असफ़ल जीवन यात्रा,,
का उत्सव..

– Rudra