Prem Das Sharma
Poet
His Story

माँ मेरी सर्वोत्कृष्ट गुरु, गरीबी मेरी पाठशाला, औरत सबसे अनमोल कुदरती नेमत।
विशेष द्रष्टव्य :मुंशी प्रेमचंद कालजयी लेखक, आनन्द बक्षी सदाबहार शायर।
डुबते तारे को उसकी दौलत की आंच रौशन कर न सकी, इस गरीब के नभ में मुफलिसी के बावजूद तारे टिमटिमा रहे हैं।
– Prem Das Sharma
Designed by Loudframe