सुकरात ने कहा
प्रश्न करो,
सत्ता से…धर्म से..
उसने किये भी
कुछ चुभते प्रश्न
सत्ता से..धर्म से..
उसके बाद
सुकरात,
वो सुकरात नही रहा
और फ़िर
वो सुकरात ….नही रहा
सुकरात ने कहा
प्रश्न करो,
सत्ता से…धर्म से..
उसने किये भी
कुछ चुभते प्रश्न
सत्ता से..धर्म से..
उसके बाद
सुकरात,
वो सुकरात नही रहा
और फ़िर
वो सुकरात ….नही रहा
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,
पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
مختصر کہانی جسکےمختلف جہات
کچھ حسین یادیں ،اک حسین واردات
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