मैने समुद्र नही देखा..
लोगों का भरा हुआ मन देखा है
मैने कोई पर्वत नहीं देखा..
दुःख से पत्थर हुए लोगों को देखा है..
और मन कहता है बार-बार..
समुद्र और भरा हुआ मन
पर्वत और पत्थर बन चुके लोग……
एक जैसे होते हैं न ?
मैने समुद्र नही देखा..
लोगों का भरा हुआ मन देखा है
मैने कोई पर्वत नहीं देखा..
दुःख से पत्थर हुए लोगों को देखा है..
और मन कहता है बार-बार..
समुद्र और भरा हुआ मन
पर्वत और पत्थर बन चुके लोग……
एक जैसे होते हैं न ?
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,
पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
مختصر کہانی جسکےمختلف جہات
کچھ حسین یادیں ،اک حسین واردات
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