राधा के कृष्ण

Published by Poonam Rajput

A mother, reader, explorer, love literature and a development professional (works on Education and livelihood).

December 14, 2020

महाभारत का युद्ध हो चुका

द्वारका नगरी बस चुकी है

सैकड़ों रमणियों को वर चुके कृष्ण

अब लौट रहे हैं बृज की और

मस्तक में राधा की भोली छवि उभरती है

अश्रुपूरित नयनों से उसी कदम्ब के नीचे बाट जोहती होगी

जहां मैं उसे बिलखता छोड़ आया था

इतने वर्षों के वियोग की क्षमा मांग लूंगा

आलिंगनबद्ध करके सब संताप हर लूँगा

राधे के बिना श्याम भी अधूरे रहे इतने वर्ष

मेरी आँखों मे पढ़ ही लेगी बृजभान किशोरी

यमुना किनारे रथ से उतरते हैं,

पैदल ही चल पड़ते हैं कानन की और

ये क्या दृश्य आंखों को दिखलाई देता है

हर कदम्ब के नीचे राधा है

हर कुंज गली में राधा है

हर ग्वाल-बाल की मईया में

हर बंसीवट की छइयां में

कण-कण में राधा नाम है

राधे के पीछे घनश्याम है

राधा आराध्य है राधा ही ध्यान है

राधा से अब मोहन की पहचान है

कृष्ण चकित हैं, कृष्ण विभोर हैं

नन्दगाम से बरसाने तक बस राधे-राधे चहुँ और है।

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2 Comments

  1. kusum pathak

    Radha krishna poem is excellent. u r superb writer.

  2. Editor-in-Chief

    It indeed is.Poonam ji is an amazing writer. Thank you for reading.

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