तेरा मेरी बात पे एतबार कर आने से,
एक जिंदगी जी गया मैं इस बहाने से।
तेरे शिकवों की क्या शिकायत मैं करुं,
और निखर गया मैं तेरे आज़माने से।
दे सकूंगा ज़वाब इस ज़माने को कोई,
अगर जोड़ दे तू बहाना मेरे बहाने से।
नज़र उठाना तेरा मेरा भरम ही सही,
कोई तो है रखता दरकार मेरे आने से।
है साफ़ नज़र तेरा नज़रिया भी मुझे,
हलक से मेरे चंद जाम उतर जाने से।
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