जो परिभाषित नहीं हो सकता
वही अनन्त है
फ़िर प्रेम हो
…………या ईश्वर
जो परिभाषित नहीं हो सकता
वही अनन्त है
फ़िर प्रेम हो
…………या ईश्वर
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,
पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
مختصر کہانی جسکےمختلف جہات
کچھ حسین یادیں ،اک حسین واردات
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