वो दोनों,
जो एक दूसरे से अथाह प्रेम करते थे
सहेज कर रखते थे
एक-दूसरे के तोहफे,
प्रेम की निशानियाँ समझकर
वो दोनों ,
हाँ,
वही दोनों
समाज की बंदिशों से घबरा गए
और उनके प्रेम की असली निशानी
सुबह-सुबह
कचरे के ढ़ेर में आवारा कुत्ते
नोंच-नोंच कर खा गए
वो दोनों,
जो एक दूसरे से अथाह प्रेम करते थे
सहेज कर रखते थे
एक-दूसरे के तोहफे,
प्रेम की निशानियाँ समझकर
वो दोनों ,
हाँ,
वही दोनों
समाज की बंदिशों से घबरा गए
और उनके प्रेम की असली निशानी
सुबह-सुबह
कचरे के ढ़ेर में आवारा कुत्ते
नोंच-नोंच कर खा गए
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,
पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
مختصر کہانی جسکےمختلف جہات
کچھ حسین یادیں ،اک حسین واردات
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