ख़त्म हुआ ईंटों के जोड़ का तनाव
प्लास्टर पर उभर आई हल्की-सी मुस्कान
दौड़ी-दौड़ी चीटियाँ ले आईं अपना अन्न-जल
फूटने लगे अंकुर
जहाँ था तनाव वहाँ
होने लगा उत्सव
हँसी
हँसी
हँसते-हँसते दोहरी हुई जाती है दीवार।
ख़त्म हुआ ईंटों के जोड़ का तनाव
प्लास्टर पर उभर आई हल्की-सी मुस्कान
दौड़ी-दौड़ी चीटियाँ ले आईं अपना अन्न-जल
फूटने लगे अंकुर
जहाँ था तनाव वहाँ
होने लगा उत्सव
हँसी
हँसी
हँसते-हँसते दोहरी हुई जाती है दीवार।
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,
पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
مختصر کہانی جسکےمختلف جہات
کچھ حسین یادیں ،اک حسین واردات
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