ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
न ख़ौफ़ कोई रात का, न आरज़ू सहर की थी
न धूप से कोई थकन, न जुस्तजू शजर की थी
न पास रहनुमा मिरे, न कोई मुन्तख़ब डगर
सुकूत से था मुतम’इन, कमी ज़रूर थी मगर
दिखी मुझे वो अजनबी, वो भीड़ से तज़ाद कुछ
न वक़्त ही थमा, हुई न नब्ज़ इन्जिमाद कुछ
मिली मुझे वो दफ़अतन, मगर कहाँ न याद कुछ
ये भी नही है याद थी उदास वो कि शाद कुछ
अदा में बे-तक़ल्लुफ़ी, थी गुफ़्तगू में सादगी
मुकामले थे आम से, नज़र में थी कुशादगी
न बात कोई वस्ल की, न शौक़ की, न इश्क़ की
न हिज्र की ,न दर्द की, न सोज़ की, न अश्क की
न बातों में कशाकशी, विसाल में रवा-रवी
न धड़कनें हुई थीं तेज़, थी नहीं शिकस्तगी
कभी चुराए गीत हमने दिल-पज़ीर ख़्वाब से
कभी बजाये हमने साज़ ग़म भरे रुबाब से
कभी थे ख़ुश सवाल से, कभी थे ख़ुश जवाब से
न बातें इज़्तिराब की, न जल गए अज़ाब से
न क़ुर्ब की तलब, न जिस्म में तड़प हवस की थी
कि मिल गयी वो डोर आज बस नफ़स नफ़स की थी
असीर था नहीं यहाँ, न गुफ़्तगू क़फ़स की थी
न ज़िक्र इख़्तियार का, न बातें दस्तरस की थी
लगा हमें कि रास्ते का मोड़ था यही सही
वज़ाहतों को भूल कर, रखें कहानी अन-कही
हँसी-ख़ुशी से एक साथ राह को बदल दिया
वो अपनी राह चल पड़ी, मै अपनी राह चल दिया
[मुसतक़र=permanent abode, मुनफ़रिद=alone, मुन्तख़ब=chosen, तज़ाद=different, इन्जिमाद=frozen, दफ़अतन=suddenly, शाद=happy, बे-तक़ल्लुफ़ी=frankness, मुकामले=dialogs, कुशादगी=openness, कशाकशी=dilemma/struggle, रवा-रवी=haste, मुंतशिर=disorderly, रुबाब=instrument, इज़्तिराब=restlessness, अज़ाब=torture, क़ुर्ब=closeness, दस्तरस=access, असीर=prisoner, क़फ़स=cage, नफ़स=soul, वज़ाहतों=explanations]
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