इक रोज़ वफ़ा के मेले में
जब दोनों थे तो अकेले में
कुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना
रुक रुक कर सहजे सहजे में
राधा और कृष्ण के लहजे में
कुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना
कुछ ढूँढ़ के दिल के बस्ते में
फूलों से महकते रस्ते में
कुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना
इक वज़्द में हम और तुम हो कर
मानूस फ़ज़ा में गुम हो कर
कुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना
इक शोरीदा ख़ामोशी में
साँसों में अटी सरगोशी में
कुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना
0 Comments