किताब

Published by Ms Kaur

August 15, 2020

क्यों न
मैं और तुम,

एक किताब लिखें!

ज़िन्दगी के लेखों का
थोड़ा हिसाब लिखें,

जिसमें,

भूतों से भयानक कर्ज़ों का ज़िक्र हो,
बूढ़े बाप की पेशानियों पर
बच्चों की फ़िक्र हो,

तपती सी ज़िन्दगी में
दो शीतल पल प्यार के हों,

कुछ एक पन्ने तो
सहेलियों
और यार के हों,

जो बिछड़ गए हैं,
उनका भी कहीं नाम आए,

खो गई सुबह की,
सुनहरी
कोई शाम आए,

क्यों न
मैं और तुम,

एक किताब लिखें,

हम कहीं तो अपना नाम,
चुपके से
एक साथ लिखें…

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