यहाँ से जाने से पूर्व
एक बार
भिक्षापात्र लेकर
हर चौखट पर जाऊँगा
सबसे, उनकी उदासियां मांगने..
चाहता हूं
मेरी कविताओं के अतिरिक्त
संसार में
कुछ भी उदास न हो……………..
यहाँ से जाने से पूर्व
एक बार
भिक्षापात्र लेकर
हर चौखट पर जाऊँगा
सबसे, उनकी उदासियां मांगने..
चाहता हूं
मेरी कविताओं के अतिरिक्त
संसार में
कुछ भी उदास न हो……………..
मुझे मेरी उङान ढूँढने दो।
खोई हुई पहचान ढूँढने दो।
महाभारत का युद्ध हो चुका
द्वारका नगरी बस चुकी है
वो तस्वीर देखी है?
जिसमे किसी समंदर किनारे…
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