खेमेबाजियाँ साफ़ कहती है
यहाँ कोई खुदा नही रहता
रूह की बात पे गर सब चलते
कोई मजहब जुदा नही रहता
किसी को छोटा करके ‘बराज’
दुनिया में कोई बड़ा नही रहता
खेमेबाजियाँ साफ़ कहती है
यहाँ कोई खुदा नही रहता
रूह की बात पे गर सब चलते
कोई मजहब जुदा नही रहता
किसी को छोटा करके ‘बराज’
दुनिया में कोई बड़ा नही रहता
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,
पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थी
था मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थी
مختصر کہانی جسکےمختلف جہات
کچھ حسین یادیں ،اک حسین واردات
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