खेमेबाजियाँ साफ़ कहती है
यहाँ कोई खुदा नही रहता
रूह की बात पे गर सब चलते
कोई मजहब जुदा नही रहता
किसी को छोटा करके ‘बराज’
दुनिया में कोई बड़ा नही रहता
खेमेबाजियाँ साफ़ कहती है
यहाँ कोई खुदा नही रहता
रूह की बात पे गर सब चलते
कोई मजहब जुदा नही रहता
किसी को छोटा करके ‘बराज’
दुनिया में कोई बड़ा नही रहता
मुझे मेरी उङान ढूँढने दो।
खोई हुई पहचान ढूँढने दो।
महाभारत का युद्ध हो चुका
द्वारका नगरी बस चुकी है
वो तस्वीर देखी है?
जिसमे किसी समंदर किनारे…
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