Dr. Amit Singh

Doctor, Poet

His Story

Dr. Amit Singh, an Anaesthesiologist by profession; when not saving lives,  is often found, lost in the words of  famous Urdu Poet Mir Taqi Mir. His work is regularly published in the national and local newspapers. 

Collection

ग़ज़ल

जो राह-ए-मुहब्बत न नज़र आई ज़रा और
छाई दिल-ए-माायूस पे तन्हाई ज़रा और

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Ghazal

इक दौर-ए-कर्ब में अब सारा मिरा जहाँ है
बिन यार जल रही शब, दिन भी धुआँ धुआँ है

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Ghazal

हो कर गई मुहब्बत बे-ज़ार मेरे दर से
मारे शरम के हम भी निकले न अपने घर से

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Ghazal

तब्दील सहरा में हुए दरिया-ए-उल्फ़त क्यूँ यहाँ
बे-बस जहाँ की आग के आगे मुहब्बत क्यूँ यहाँ

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Ghazal

वादे से इक तुम्हारे मजबूर हो गये
ख़ातिर तुम्हारी तुम से हम दूर हो गये

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{

हर इक दौर ज़िन्दगी में लाती है मुफ़्लिसी
हर इक रंग-ए-ज़िन्दगी दिखाती है मुफ़्लिसी

दिये बस्तियों के याँ बुझाती है मुफ़्लिसी
ढहे को फिर और भी ढहाती है मुफ़्लिसी

कभी बे-सबब तबाह करती ग़रीब को
कभी आदतन तबाही लाती है मुफ़्लिसी

– Dr. Amit Singh