by Ms Kaur | Aug 15, 2020 | Hindi, Poetry, Prabhjot Kaur
क्यों नमैं और तुम, एक किताब लिखें! ज़िन्दगी के लेखों काथोड़ा हिसाब लिखें, जिसमें, भूतों से भयानक कर्ज़ों का ज़िक्र हो,बूढ़े बाप की पेशानियों परबच्चों की फ़िक्र हो, तपती सी ज़िन्दगी मेंदो शीतल पल प्यार के हों, कुछ एक पन्ने तोसहेलियोंऔर यार के हों, जो बिछड़ गए हैं,उनका...
by Baraj | Aug 15, 2020 | Baraaj, Hindi, Poetry
बगैर तैराकी के जिनकी पीठ थपथपाई गयीवे उतरे जरूर दरिया में मगर लौटके नही आये
by Baraj | Aug 15, 2020 | Baraaj, Hindi, Poetry
शर्म से निकले बगैरऔरत घर से नही निकल सकतीजरूरी नही चाँद को सभी अदब से देखेंकुछ आँखें घूरने के लिये होती हैनश्तर की चुभन से यूँ ही नही निकला जायेगाबहुत जरूरी है अबबख़्तरबंद के बिनाआग उगलती आँखों मेंशालीन मौन के साथबेखौफ घर से निकलनाहर हाल में दो दो हाथ...
by Prem Das Sharma | Aug 15, 2020 | Hindi, Poetry, Prem Das Sharma
इंसान की नहीं,यहाँ,हैसियत की क़दर है लौट चल गाँव ये तोमशीनों का शहर है
by Ms Kaur | Aug 15, 2020 | Hindi, Poetry, Prabhjot Kaur
मैं अक्सरख़ुद को,टुकड़ों में रख कर भूल जाती हूँ, मैं माँ हूँ, बेटी भी हूँपत्नी और बहन में बँटी भी हूँ, मैं प्रेमिका हूँ,मैं ख़ुद प्यार हूँ बस शब्दों में रहती हूँ,मैं ब्रह्म सी निराकार...
by Prem Das Sharma | Aug 15, 2020 | Hindi, Poetry, Prem Das Sharma
मैं मानस की खोजकरता ही रहा जोमुझमें न थाबाहर कैसे मिलता