जंगल का फूल

पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं,  पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है।  माली की बगिया में शान तो खूब थी,  पर था कोई फूल नहीं, बगिया बेज़ान थी। एक फूल की तलाश में, वह माली शूलों पर चलता रहा,  भटकता रहा कई दिनों वह दुर्गम जंगलों में, पत्थरों...

ख़ूबसूरत मोड़

ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थीथा मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थीन ख़ौफ़ कोई रात का, न आरज़ू सहर की थीन धूप से कोई थकन, न जुस्तजू शजर की थीन पास रहनुमा मिरे, न कोई मुन्तख़ब डगरसुकूत से था मुतम’इन, कमी ज़रूर थी मगरदिखी मुझे वो अजनबी, वो भीड़ से...

दावानल

मृत जीव – जंतु – वृक्ष – पत्ते, झर – झर,गिर रहे प्राणहीन होकर भू पर, शर – शर।अनल के एक कण से फैला,विश्वारण्य में एक दावानल। चर – अचर, निशाचर सब,जर रहे धूं – धूं कर,धूम्र की चादरों से ढक गया है – नीलाम्बर,अस्त हुआ रवि तब,...

राधा के कृष्ण

महाभारत का युद्ध हो चुका द्वारका नगरी बस चुकी है सैकड़ों रमणियों को वर चुके कृष्ण अब लौट रहे हैं बृज की और मस्तक में राधा की भोली छवि उभरती है अश्रुपूरित नयनों से उसी कदम्ब के नीचे बाट जोहती होगी जहां मैं उसे बिलखता छोड़ आया था इतने वर्षों के वियोग की क्षमा मांग लूंगा...

वो तस्वीर देखी है?

वो तस्वीर देखी है?जिसमे किसी समंदर किनारेएक पुरानी सी बेंच परएक वृद्ध जोड़ा बैठा हुआउठती गिरती लहरों को देखतेहुएपंछियों के शोर को सुनतेहुएभीगी रेत पे पाँव गड़ोये हुएताज़ी हवा को कमजोर पड़तीसाँसों में भरते हुएएक दूसरे को देखकरमुस्कुराता हैउन आखों में अब शिकवेशिकायतें...

ग़ज़ल

जो राह-ए-मुहब्बत न नज़र आई ज़रा औरछाई दिल-ए-माायूस पे तन्हाई ज़रा और होता न ये ज़ुल्मत मेरी तक़दीर पे क़ाबिज़गर रौशनी तू होती शनासाई ज़रा और मुश्किल में था सूरज मेरा, बिन शाम ढला आजवर्ना अभी चलती मेरी परछाई ज़रा और बदनाम मेरी ज़ीस्त यहाँ कम थी ज़रा क्याजो मौत ने शोहरत...