by Shankar Singh Rai | Aug 14, 2020 | Hindi, Poetry, Shankar S. Rai
वो दोनों,जो एक दूसरे से अथाह प्रेम करते थे सहेज कर रखते थेएक-दूसरे के तोहफे,प्रेम की निशानियाँ समझकर वो दोनों , हाँ,वही दोनों समाज की बंदिशों से घबरा गएऔर उनके प्रेम की असली निशानीसुबह-सुबहकचरे के ढ़ेर में आवारा कुत्तेनोंच-नोंच कर खा...
by Shankar Singh Rai | Aug 14, 2020 | Hindi, Poetry, Shankar S. Rai
प्रेम मुझसे नही,न सही ,न सही,इतना उपकार कर दो मेरे साँवरे।उम्र भर न मिलो तो शिकायत नहींइस पहर प्यार कर दो मेरे साँवरे।।प्रेम मुझसे नही,न सही, न सही…… बिंदियाँ,चूड़ियाँ मुझको भाती नहीपायलें अब किसी से लजाती नहीरूप ढकने से करती है घूँघट मनामुँह दिखाई की बेला भी आती नही...
by Shankar Singh Rai | Aug 14, 2020 | Hindi, Poetry, Shankar S. Rai
सुकरात ने कहाप्रश्न करो,सत्ता से…धर्म से.. उसने किये भीकुछ चुभते प्रश्नसत्ता से..धर्म से.. उसके बादसुकरात,वो सुकरात नही रहा और फ़िरवो सुकरात ….नही...