by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Hindi, Poetry, Rahat Indori
सुला चुकी थी ये दुनिया थपक थपक के मुझेजगा दिया तेरी पाज़ेब ने खनक के मुझे कोई बताये के मैं इसका क्या इलाज करूँपरेशां करता है ये दिल धड़क धड़क के मुझे ताल्लुकात में कैसे दरार पड़ती हैदिखा दिया किसी कमज़र्फ ने छलक के मुझे हमें खुद अपने सितारे तलाशने होंगेये एक जुगनू ने...
by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Hindi, Poetry, Rahat Indori
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैंचाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकताकोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट परअपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल...
by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Hindi, Poetry, Rahat Indori
बुलाती है मगर जाने का नईंये दुनिया है इधर जाने का नईं मेरे बेटे किसी से इश्क़ करमगर हद से गुजर जाने का नईं सितारें नोच कर ले जाऊँगामैं खाली हाथ घर जाने का नईं वबा फैली हुई है हर तरफअभी माहौल मर जाने का नईं वो गर्दन नापता है नाप लेमगर जालिम से डर जाने का...