राधा के कृष्ण

महाभारत का युद्ध हो चुका द्वारका नगरी बस चुकी है सैकड़ों रमणियों को वर चुके कृष्ण अब लौट रहे हैं बृज की और मस्तक में राधा की भोली छवि उभरती है अश्रुपूरित नयनों से उसी कदम्ब के नीचे बाट जोहती होगी जहां मैं उसे बिलखता छोड़ आया था इतने वर्षों के वियोग की क्षमा मांग लूंगा...

वो तस्वीर देखी है?

वो तस्वीर देखी है?जिसमे किसी समंदर किनारेएक पुरानी सी बेंच परएक वृद्ध जोड़ा बैठा हुआउठती गिरती लहरों को देखतेहुएपंछियों के शोर को सुनतेहुएभीगी रेत पे पाँव गड़ोये हुएताज़ी हवा को कमजोर पड़तीसाँसों में भरते हुएएक दूसरे को देखकरमुस्कुराता हैउन आखों में अब शिकवेशिकायतें...