by Harsh Kohli | Aug 14, 2020 | Harsh Kohli, Hindi, Poetry
लिखूँ तो किस ज़माने की बात लिखूँ आज?जो बीत गया वो, या वो जो गुज़रता ही नहीं अपना आज लिखूँ, या परसों का परायापनया पराया कल जो, अपना सा लगता ही नहीं लिख जाऊँ क्या किस्सा, वो दौर-ए-फ़ज़्ल काया लिख दूँ वो वक्त, कभी जो सँवरता ही नहीं बख़्श-ए-फ़ज़ा लिख दूँ, या बीती सज़ा कोईया लिखूँ...
by Harsh Kohli | Aug 14, 2020 | Harsh Kohli, Hindi, Poetry
तेरा मेरी बात पे एतबार कर आने से,एक जिंदगी जी गया मैं इस बहाने से। तेरे शिकवों की क्या शिकायत मैं करुं,और निखर गया मैं तेरे आज़माने से। दे सकूंगा ज़वाब इस ज़माने को कोई,अगर जोड़ दे तू बहाना मेरे बहाने से। नज़र उठाना तेरा मेरा भरम ही सही,कोई तो है रखता दरकार मेरे आने से। है...