अकम्पित बसन्त

तुम्हारा जाना किसी त्रासदी से कम न था । कितनी अजीब बात है न प्रेम द्विभाविक प्रधान भाव है ,यह आपको प्रसन्नता के असीम गहराई तक ले जाकर स्मितपूर्ण ( मुस्कुराने ) स्मृतियां देता है तो साथ ही दुख और विछोह का अनंत आसमान भी देता है । जो स्मृति कभी सुखदायी थीं वही कभी जीवन...