by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Dr. Kunwar Bechain, Hindi, Poetry
आवाज़ को ,आवाज़ देये मौन-व्रत ,अच्छा नहीं। जलते हैं घरजलते नगरजलने लगे,चिड़यों के पर,तू ख्वाब मेंडूबा रहातेरी नज़र ,थी बेख़बर। आँख़ों के ख़त,पर नींद कायह दस्तख़त ,अच्छा नहीं। जिस पेड़ कोखाते हैं घुनउस पेड़ की ,आवाज़ सुन,उसके तलेबैठे हुएतू फूल की ,रस्सी न बुन। जर्जर...
by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Dr. Kunwar Bechain, Hindi, Poetry
जितनी दूर नयन से सपनाजितनी दूर अधर से हँसनाबिछुए जितनी दूर कुँआरे पाँव सेउतनी दूर पिया तू मेरे गाँव से हर पुरवा का झोंका तेरा घुँघरूहर बादल की रिमझिम तेरी भावनाहर सावन की बूंद तुम्हारी ही व्यथाहर कोयल की कूक तुम्हारी कल्पना जितनी दूर ख़ुशी हर ग़म सेजितनी दूर साज सरगम...
by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Dr. Kunwar Bechain, Hindi, Poetry
नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास आई हूँ।मुझे भी गा मेरे शायर, मैं तेरी ही-ही रुबाई हूँ॥नदी बोली समन्दर से…. मुझे ऊँचाइयों का वो अकेलापन नहीं भाया;लहर होते हुये भी तो मेरा आँचल न लहराया;मुझे बाँधे रही ठंडे बरफ की रेशमी काया।बड़ी मुश्किल से बन निर्झर, उतर पाई मैं धरती...