by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Dr. Kumar Vishwas, Hindi, Poetry
कुछ छोटे सपनों की ख़ातिरबड़ी नींद का सौदा करनेनिकल पड़े हैं पाँव अभागेजाने कौन नगर ठहरेंगे वही प्यास के अनगढ़ मोतीवही धूप की सुर्ख़ कहानीवही ऑंख में घुट कर मरतीऑंसू की ख़ुद्दार जवानीहर मोहरे की मूक विवशताचौसर के खाने क्या जानेंहार-जीत ये तय करती हैआज कौन-से घर ठहरेंगे...
by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Dr. Kumar Vishwas, Hindi, Poetry
दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौलाबस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौलाशम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा होहोठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा होहोठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो बस एक सदा ही सुनें सदा बर्फ़ीली मस्त हवाओं मेंबस एक दुआ ही उठे...
by Editor-in-Chief | Aug 14, 2020 | Dr. Kumar Vishwas, Hindi, Poetry
हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हेंकितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हें जिस पल हल्दी लेपी होगी तन पर माँ नेजिस पल सखियों ने सौंपी होंगीं सौगातेंढोलक की थापों में, घुँघरू की रुनझुन मेंघुल कर फैली होंगीं घर में प्यारी बातें उस पल मीठी-सी धुनघर के आँगन में सुनरोये मन-चौसर पर हार...