कुछ छोटे सपनों की ख़ातिर

कुछ छोटे सपनों की ख़ातिरबड़ी नींद का सौदा करनेनिकल पड़े हैं पाँव अभागेजाने कौन नगर ठहरेंगे वही प्यास के अनगढ़ मोतीवही धूप की सुर्ख़ कहानीवही ऑंख में घुट कर मरतीऑंसू की ख़ुद्दार जवानीहर मोहरे की मूक विवशताचौसर के खाने क्या जानेंहार-जीत ये तय करती हैआज कौन-से घर ठहरेंगे...

हाथों में तिरंगा हो

दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौलाबस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौलाशम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा होहोठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा होहोठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो बस एक सदा ही सुनें सदा बर्फ़ीली मस्त हवाओं मेंबस एक दुआ ही उठे...

कितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हें

हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हेंकितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हें जिस पल हल्दी लेपी होगी तन पर माँ नेजिस पल सखियों ने सौंपी होंगीं सौगातेंढोलक की थापों में, घुँघरू की रुनझुन मेंघुल कर फैली होंगीं घर में प्यारी बातें उस पल मीठी-सी धुनघर के आँगन में सुनरोये मन-चौसर पर हार...