by Dr. Amit Singh | Sep 24, 2020 | Dr. Amit Singh, Hindi, Poetry
जो राह-ए-मुहब्बत न नज़र आई ज़रा औरछाई दिल-ए-माायूस पे तन्हाई ज़रा और होता न ये ज़ुल्मत मेरी तक़दीर पे क़ाबिज़गर रौशनी तू होती शनासाई ज़रा और मुश्किल में था सूरज मेरा, बिन शाम ढला आजवर्ना अभी चलती मेरी परछाई ज़रा और बदनाम मेरी ज़ीस्त यहाँ कम थी ज़रा क्याजो मौत ने शोहरत...
by Dr. Amit Singh | Aug 13, 2020 | Dr. Amit Singh, Hindi, Poetry
इक दौर-ए-कर्ब में अब सारा मिरा जहाँ हैबिन यार जल रही शब, दिन भी धुआँ धुआँ है दर-दर भटक रहा हूँ मैं यार की फ़िकर मेंमेरे ख़ुदा बता मेरी ज़िन्दगी कहाँ है ज़ुल्म-ओ-सितम जहाँ का उसके नहीं मुक़ाबिलनाला-ए-हिज्र में जो ग़म एक अब निहाँ है है दूर यार जो तो बेहाल हाल-ए-दिल हैहै...
by Dr. Amit Singh | Aug 13, 2020 | Dr. Amit Singh, Hindi, Poetry
हो कर गई मुहब्बत बे-ज़ार मेरे दर सेमारे शरम के हम भी निकले न अपने घर से दिल बुझ गया सुबह से उन के बग़ैर मेराघर में भी हो गई है इक शाम अब सहर से हर दर्द के सफ़र में दिलबर इलाज-ए-ग़म हैकटता नहीं हमारा नाला-ए-दिल ज़हर से क्या दैर क्या हरम क्या दर शैख़ बरहमन काजाते नहीं...
by Dr. Amit Singh | Aug 13, 2020 | Dr. Amit Singh, Hindi, Poetry
तब्दील सहरा में हुए दरिया-ए-उल्फ़त क्यूँ यहाँबे-बस जहाँ की आग के आगे मुहब्बत क्यूँ यहाँ दीवार से दीवार मिलती दर से मिलते आज दरदीवार-ओ-दर पे फिर रही फिर आज नफ़रत क्यूँ यहाँ जब है हमारे ही ज़ेहन में हर मसाइल की सुलझफिर बीच में आती ज़माने की अदालत क्यूँ यहाँ क्या एक...
by Dr. Amit Singh | Aug 13, 2020 | Dr. Amit Singh, Hindi, Poetry
वादे से इक तुम्हारे मजबूर हो गयेख़ातिर तुम्हारी तुम से हम दूर हो गये ख़्वाहिश हमारे दिल की दिल ही में रह गईअरमाँ-ए-यार आगे मा’ज़ूर हो गये बर्क़-ए-जमाल-ओ-हुस्न-ए-माशूक़ देखिएख़ुर्शीद जाने कितने बे-नूर हो गये इक आरज़ू-ए-उल्फ़त बदनाम कर गईवो इश्क़ कर लिये और मशहूर...