by Alok Mishra | Aug 14, 2020 | Alok Mishra, Hindi, Poetry
क्षितिज के पार बैठ जाता है वोअपने सपने,सपनों में सजाता है, दिन भर गुजार लेता है शांत रहे शाम होते हीधुन में शोर गुनगुनाता है, सूरज की ढलती लालिमा कोअंदर उतार लेता है अपने मन के अंधेरे को वो………… कुछ इस तरह सँवार लेता...
by Alok Mishra | Aug 14, 2020 | Alok Mishra, Hindi, Poetry
तुम्हारी चुप्पी पढ़ लूंगा मैंघनघोर अंधेरी रातों मेंरख देना तुम हाथ को अपनेधीरे से मेरे हाथों में बिजली चमके दूर कहीं तोतुम साहस की साँसे भर लेना,संग बैठना साथ मेरेथोड़ा हँसकर बातें कर लेना।जल्द सवेरा होगाकाले बादल छँट जाएंगे,नभ में पंछी घूमेंगेऔर प्यार का गीत...