कुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना

इक रोज़ वफ़ा के मेले मेंजब दोनों थे तो अकेले मेंकुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना रुक रुक कर सहजे सहजे मेंराधा और कृष्ण के लहजे मेंकुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना कुछ ढूँढ़ के दिल के बस्ते मेंफूलों से महकते रस्ते मेंकुछ तुम ने कहा,कुछ हम ने सुना इक वज़्द में हम और तुम हो...

ग़ज़ल

पासे बह के रोणा कीदिल दे ढायां होणा की इश्क़ समूला चाहीदैअध्धा की ते पोणा की नफ़रत वस्से वेहड़े विचबूहे तेल दा चोणा की मुड़ मुड़ कीतीयां भुलां नूंगंगा जा के धोणा की दिन दे चड़ेयां आज़िम जीमक्कर मार के सोणा...

…दोस्तो

हर तलब मेरी वो सुनता देखता है दोस्तोसाथ मेरे हर नफ़स मेरा ख़ुदा है दोस्तो कुछ भी ता हद्द ए नज़र साबित नज़र आता नहींबट गया हूँ मैं कि मंज़र बट गया है दोस्तो अज़्म भी है ज़ीस्त की लहरें भी हैं बिफरी हुईंऔर हाथों में मिरे कच्चा घड़ा है...