by Sanjeev Singh | Feb 16, 2021 | Hindi, Poetry, Sanjeev Singh
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं, पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है। माली की बगिया में शान तो खूब थी, पर था कोई फूल नहीं, बगिया बेज़ान थी। एक फूल की तलाश में, वह माली शूलों पर चलता रहा, भटकता रहा कई दिनों वह दुर्गम जंगलों में, पत्थरों...
by Uday Kamath | Feb 15, 2021 | Hindi, Poetry, Uday Kamath
ये भूली बिसरी बातें और यादें उस सफ़र की थीथा मुनफ़रिद मैं राह पर, न चाह मुस्तक़र की थीन ख़ौफ़ कोई रात का, न आरज़ू सहर की थीन धूप से कोई थकन, न जुस्तजू शजर की थीन पास रहनुमा मिरे, न कोई मुन्तख़ब डगरसुकूत से था मुतम’इन, कमी ज़रूर थी मगरदिखी मुझे वो अजनबी, वो भीड़ से...
by Uday Kamath | Feb 15, 2021 | Uday Kamath, Urdu
مختصر کہانی جسکےمختلف جہاتکچھ حسین یادیں ،اک حسین وارداتجام بزم میں نہ تھا ،نجات غم کی راتذکر میں ممات اور تھی فکر میں حیاتدور دیکھا اک جمال لاکھوں تھے صفاتاسکی تھی مری طرف نگاہ التفاتحسن تھا بعید وہم ،دل کو کر دے ماتآنکھوں آنکھوں نے کی ایک دوسرے سے باتتلخ سی فضا کو...
by Uday Kamath | Feb 15, 2021 | Hindi, Uday Kamath
मुख़्तसर कहानी जिसके मुख़्तलिफ़ जिहात कुछ हसीन यादें, इक हसीन वारदात जाम बज़्म में न था, नजात-ए-ग़म की रात ज़िक्र में ममात और थी फ़िक्र में हयात दूर देखा इक जमाल, लाखों थे सिफ़ात उसकी थी मिरी तरफ़ निगाह-ए-इल्तिफ़ात हुस्न था बईद-ए-वहम, दिल को कर दे मात आखों आखों ने की...
by Sanjeev Singh | Feb 15, 2021 | Hindi, Poetry, Sanjeev Singh
मृत जीव – जंतु – वृक्ष – पत्ते, झर – झर,गिर रहे प्राणहीन होकर भू पर, शर – शर।अनल के एक कण से फैला,विश्वारण्य में एक दावानल। चर – अचर, निशाचर सब,जर रहे धूं – धूं कर,धूम्र की चादरों से ढक गया है – नीलाम्बर,अस्त हुआ रवि तब,...
by Uday Kamath | Feb 15, 2021 | Hindi, Uday Kamath, Urdu
क्यूँ ये दूरी सही नहीं जातीज़िंदगी हम से जी नहीं जाती बंदगी शौक़-ए-सजदा हद से औरदिल की वारफ़्तगी नहीं जाती याद इक बार उनकी आती हैआँखों से फिर नमी नहीं जाती इतना हसरत-ज़दा हुआ है दिलप्यास दिल की सही नहीं जाती सब पे दरिया-दिली तुम्हारी बसअपनी तिश्ना-लबी नहीं जाती आग...