by Sanjeev Singh | Feb 16, 2021 | Hindi, Poetry, Sanjeev Singh
पौधे और झाड़ियां तो बगिया की शान हैं, पर फूलों में ही रहती, बगिया की जान है। माली की बगिया में शान तो खूब थी, पर था कोई फूल नहीं, बगिया बेज़ान थी। एक फूल की तलाश में, वह माली शूलों पर चलता रहा, भटकता रहा कई दिनों वह दुर्गम जंगलों में, पत्थरों...
by Sanjeev Singh | Feb 15, 2021 | Hindi, Poetry, Sanjeev Singh
मृत जीव – जंतु – वृक्ष – पत्ते, झर – झर,गिर रहे प्राणहीन होकर भू पर, शर – शर।अनल के एक कण से फैला,विश्वारण्य में एक दावानल। चर – अचर, निशाचर सब,जर रहे धूं – धूं कर,धूम्र की चादरों से ढक गया है – नीलाम्बर,अस्त हुआ रवि तब,...