by Ms Kaur | Aug 15, 2020 | Hindi, Poetry, Prabhjot Kaur
क्यों नमैं और तुम, एक किताब लिखें! ज़िन्दगी के लेखों काथोड़ा हिसाब लिखें, जिसमें, भूतों से भयानक कर्ज़ों का ज़िक्र हो,बूढ़े बाप की पेशानियों परबच्चों की फ़िक्र हो, तपती सी ज़िन्दगी मेंदो शीतल पल प्यार के हों, कुछ एक पन्ने तोसहेलियोंऔर यार के हों, जो बिछड़ गए हैं,उनका...
by Ms Kaur | Aug 15, 2020 | Hindi, Poetry, Prabhjot Kaur
मैं अक्सरख़ुद को,टुकड़ों में रख कर भूल जाती हूँ, मैं माँ हूँ, बेटी भी हूँपत्नी और बहन में बँटी भी हूँ, मैं प्रेमिका हूँ,मैं ख़ुद प्यार हूँ बस शब्दों में रहती हूँ,मैं ब्रह्म सी निराकार...