by Bhrigunath chaurasia | Aug 14, 2020 | Bhrigunath Chaurasia, Hindi, Poetry
बस मैं चला जाऊंगा,अब तुम जाओ,थक जाओगी,एक टिकट तुम्हारी कटा लूं,साथ ही चले चलो, ‘नही तुम जाओ’मैं जा रही वापस(घर)…. चार कदम चलना,और पीछे मुड़-मुड़ कर देखना,कैसे भुलाया जायगा उसका मुड़कर देखना, हर बार यही होता है,हर बार बिछड़ने का गम,मिलने की खुशी से जीत जाता...
by Bhrigunath chaurasia | Aug 14, 2020 | Bhrigunath Chaurasia, Hindi, Poetry
बंधनों के उस पार भी एक जीवन है,यहाँ- वहां,इधर-उधर,ये सारा संसार ही एक जीवन है। और जहां जहाँजीवन हैं,वहां वहां मृत्यु है।जिंदगी जीवन और मृत्यु के बीच का समय है,सब इसको अपने-अपनेचश्मे से देखते हैं,कुछ के लिए,जंग है,संघर्ष है,दर्द है,प्यार है,जुआ हैसच तो ये है,इनमें से...