वो

क्षितिज के पार बैठ जाता है वोअपने सपने,सपनों में सजाता है, दिन भर गुजार लेता है शांत रहे शाम होते हीधुन में शोर गुनगुनाता है, सूरज की ढलती लालिमा कोअंदर उतार लेता है अपने मन के अंधेरे को वो………… कुछ इस तरह सँवार लेता...

ख्वाबों में जीवनसाथी

तुम्हारी चुप्पी पढ़ लूंगा मैंघनघोर अंधेरी रातों मेंरख देना तुम हाथ को अपनेधीरे से मेरे हाथों में बिजली चमके दूर कहीं तोतुम साहस की साँसे भर लेना,संग बैठना साथ मेरेथोड़ा हँसकर बातें कर लेना।जल्द सवेरा होगाकाले बादल छँट जाएंगे,नभ में पंछी घूमेंगेऔर प्यार का गीत...